हमारे घर से जाना मुस्कुरा कर फिर ये फ़रमाना
तुम्हें मेरी क़सम देखो मिरी रफ़्तार कैसी है
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जल्वे तिरे जो रौनक़-ए-बाज़ार हो गए
छुप गया यार ख़ुद-नुमा हो कर
राज़-ए-दिल लाते हैं ज़बाँ तक हम
किस के चेहरे से उठ गया पर्दा
शीशा उठा कर ताक़ से हम ने
उल्फ़त हो किसी की न मोहब्बत हो किसी की
दिल को जानाँ से 'हसन' समझा-बुझा के लाए थे
मिल गया दिल निकल गया मतलब
इश्क़ में बे-ताबियाँ होती हैं लेकिन ऐ 'हसन'
देख आओ मरीज़-ए-फ़ुर्क़त को
जब मिरा महर जल्वा-गर होगा
आप की ज़िद ने मुझे और पिलाई हज़रत