Bewafa Poetry (page 37)
हर आश्ना में कहाँ ख़ू-ए-मेहरमाना वो
अहमद फ़राज़
गिला फ़ुज़ूल था अहद-ए-वफ़ा के होते हुए
अहमद फ़राज़
चले थे यार बड़े ज़ोम में हवा की तरह
अहमद फ़राज़
चल निकलती हैं ग़म-ए-यार से बातें क्या क्या
अहमद फ़राज़
क़र्या-ए-इंतिज़ार में उम्र गँवा के आए हैं
अहमद अज़ीम
जितनी हम चाहते थे उतनी मोहब्बत नहीं दी
अहमद अशफ़ाक़
तख़्ता-ए-मश्क़-ए-सितम मुझ को बनाने वाला
अहमद अली बर्क़ी आज़मी
सुकून-ए-क़ल्ब किसी को नहीं मयस्सर आज
अहमद अली बर्क़ी आज़मी
जब से में ने देखा है एक ख़ुशनुमा चेहरा
अहमद अली बर्क़ी आज़मी
मिरे करीम इनायत से तेरी क्या न मिला
आग़ा शाएर क़ज़लबाश
क्या ख़बर थी राज़-ए-दिल अपना अयाँ हो जाएगा
आग़ा शाएर क़ज़लबाश
बुतों के वास्ते तो दीन-ओ-ईमाँ बेच डाले हैं
आग़ा शाएर क़ज़लबाश
याद में तेरी जहाँ को भूलता जाता हूँ मैं
आग़ा हश्र काश्मीरी
तेज़ कब तक होगी कब तक बाढ़ रक्खी जाएगी
आग़ा हज्जू शरफ़
बे-वफ़ा तुम बा-वफ़ा मैं देखिए होता है क्या
आग़ा हज्जू शरफ़
सलफ़ से लोग उन पे मर रहे हैं हमेशा जानें लिया करेंगे
आग़ा हज्जू शरफ़
रुलवा के मुझ को यार गुनहगार कर नहीं
आग़ा हज्जू शरफ़
रंग जिन के मिट गए हैं उन में यार आने को है
आग़ा हज्जू शरफ़
जवानी आई मुराद पर जब उमंग जाती रही बशर की
आग़ा हज्जू शरफ़
जश्न था ऐश-ओ-तरब की इंतिहा थी मैं न था
आग़ा हज्जू शरफ़
हुए ऐसे ब-दिल तिरे शेफ़्ता हम दिल-ओ-जाँ को हमेशा निसार किया
आग़ा हज्जू शरफ़
हुआ है तौर-ए-बर्बादी जो बे-दस्तूर पहलू में
आग़ा हज्जू शरफ़
हवस गुलज़ार की मिस्ल-ए-अनादिल हम भी रखते थे
आग़ा हज्जू शरफ़
घिसते घिसते पाँव में ज़ंजीर आधी रह गई
आग़ा हज्जू शरफ़
दिल को अफ़सोस-ए-जवानी है जवानी अब कहाँ
आग़ा हज्जू शरफ़
नौजवानी में अजब दिल की लगी होती है
अफ़ज़ल पेशावरी
मैं ने दिल-ए-बे-ताब पे जो जब्र किया है
अफ़ज़ल परवेज़
मिरी दीवानगी की हद न पूछो तुम कहाँ तक है
अफ़ज़ल इलाहाबादी
सितम की तेग़ पे ये दस्त-ए-बे-नियाम रक्खा
अफ़ज़ाल अहमद सय्यद
कहो बुलबुल को ले जावे चमन से आशियाँ अपना
आफ़ताब शाह आलम सानी