Bewafa Poetry (page 5)
तोड़ कर अहद-ए-करम ना-आश्ना हो जाइए
हसरत मोहानी
तिरे दर्द से जिस को निस्बत नहीं है
हसरत मोहानी
सितम हो जाए तम्हीद-ए-करम ऐसा भी होता है
हसरत मोहानी
रविश-ए-हुस्न-ए-मुराआत चली जाती है
हसरत मोहानी
क़वी दिल शादमाँ दिल पारसा दिल
हसरत मोहानी
निगाह-ए-यार जिसे आश्ना-ए-राज़ करे
हसरत मोहानी
क्या तुम को इलाज-ए-दिल-ए-शैदा नहीं आता
हसरत मोहानी
ख़ूब-रूयों से यारियाँ न गईं
हसरत मोहानी
जो वो नज़र बसर-ए-लुत्फ़ आम हो जाए
हसरत मोहानी
हुस्न-ए-बे-मेहर को परवा-ए-तमन्ना क्या हो
हसरत मोहानी
हम ने किस दिन तिरे कूचे में गुज़ारा न किया
हसरत मोहानी
दिल में क्या क्या हवस-ए-दीद बढ़ाई न गई
हसरत मोहानी
छुप के उस ने जो ख़ुद-नुमाई की
हसरत मोहानी
चाहत मिरी चाहत ही नहीं आप के नज़दीक
हसरत मोहानी
बदल-ए-लज़्ज़त-ए-आज़ार कहाँ से लाऊँ
हसरत मोहानी
बाम पर आने लगे वो सामना होने लगा
हसरत मोहानी
और तो पास मिरे हिज्र में क्या रक्खा है
हसरत मोहानी
अक़्ल से हासिल हुई क्या क्या पशीमानी मुझे
हसरत मोहानी
जब प्यार नहीं है तो भुला क्यूँ नहीं देते
हसरत जयपुरी
हम रातों को उठ उठ के जिन के लिए रोते हैं
हसरत जयपुरी
यार इब्तिदा-ए-इश्क़ से बे-ज़ार ही रहा
हसरत अज़ीमाबादी
वफ़ा के हैं ख़्वान पर निवाले ज़े-आब अव्वल दोअम ब-आतिश
हसरत अज़ीमाबादी
उस ज़ुल्फ़ से दिल हो कर आज़ाद बहुत रोया
हसरत अज़ीमाबादी
राह-रस्ते में तू यूँ रहता है आ कर हम से मिल
हसरत अज़ीमाबादी
फिरी सी देखता हूँ इस चमन की कुछ हवा बुलबुल
हसरत अज़ीमाबादी
करे आशिक़ पे वो बेदाद जितना उस का जी चाहे
हसरत अज़ीमाबादी
कब तलक पीवेगा तू तर-दामनों से मिल के मुल
हसरत अज़ीमाबादी
कब तलक हम को न आवेगा नज़र देखें तो
हसरत अज़ीमाबादी
हर घड़ी मत रूठ उस से फेर पल में मिल न जा
हसरत अज़ीमाबादी
है याद तुझ से मेरा वो शर्ह-ए-हाल देना
हसरत अज़ीमाबादी