Bewafa Poetry (page 6)
एक-दम ख़ुश्क मिरा दीदा-ए-तर है कि नहीं
हसरत अज़ीमाबादी
चाहे सो हमें कर तू गुनहगार हैं तेरे
हसरत अज़ीमाबादी
बे-वफ़ा गो मिले न तू मुझ को
हसरत अज़ीमाबादी
अज़ीज़ो तुम न कुछ उस को कहो हुआ सो हुआ
हसरत अज़ीमाबादी
आश्ना कब हो है ये ज़िक्र दिल-ए-शाद के साथ
हसरत अज़ीमाबादी
ये उस की मर्ज़ी कि मैं उस का इंतिख़ाब न था
हाशिम रज़ा जलालपुरी
अब उसे छोड़ के जाना भी नहीं चाहते हम
हसीब सोज़
किसे हम अपना कहें कोई ग़म-गुसार नहीं
हसीब रहबर
सूरत है वो ऐसी कि भुलाई नहीं जाती
हसन रिज़वी
साँझ-सवेरे फिरते हैं हम जाने किस वीराने में
हसन रिज़वी
न वो इक़रार करता है न वो इंकार करता है
हसन रिज़वी
मोहब्बत का अजब ज़ाविया है
हसन रिज़वी
कभी आबाद करता है कभी बरबाद करता है
हसन रिज़वी
रात गुज़री कि शब-ए-वस्ल का पैग़ाम मिला
हसन नईम
बसर हो यूँ कि हर इक दर्द हादिसा न लगे
हसन नईम
मंज़र में अगर कुछ भी दिखाई नहीं देगा
हसन नासिर
इनायत कम मोहब्बत कम वफ़ा कम
हसन कमाल
चोट जब दिल पर लगे फ़रियाद पैदा क्यूँ न हो
हसन बरेलवी
रात लम्बी भी है और तारीक भी शब-गुज़ारी का सामाँ करो दोस्तो
हसन अख्तर जलील
निभाओ अब उसे जो वज़्अ भी बना ली है
हसन अख्तर जलील
बरसों तिरी तलब में सफ़ीना रवाँ रहा
हसन अख्तर जलील
'हबीब-जालिब'
हसन आबिदी
तीसरी आँख
हसन अब्बास रज़ा
गुलाब-ए-सुर्ख़ से आरास्ता दालान करना है
हसन अब्बास रज़ा
हमें भी आ पड़ा है दोस्तों से काम कुछ यानी
हरी चंद अख़्तर
शबाब आया किसी बुत पर फ़िदा होने का वक़्त आया
हरी चंद अख़्तर
मुझे अब मौत बेहतर ज़िंदगी से
हक़ीर
ना-तवाँ वो हूँ कि दम भर नहीं बैठा जाता
हक़ीर
हमारी वो वफ़ादारी कि तौबा
हक़ीर
तुम कभी माइल-ए-करम न हुए
हंस राज सचदेव 'हज़ीं'