Hope Poetry (page 207)
हर इक धड़कन अजब आहट
अब्दुल अहद साज़
दूर से शहर-ए-फ़िक्र सुहाना लगता है
अब्दुल अहद साज़
दिखाई देने के और दिखाई न देने के दरमियान सा कुछ
अब्दुल अहद साज़
बजा कि लुत्फ़ है दुनिया में शोर करने का
अब्दुल अहद साज़
अज़दवाजी ज़िंदगी भी और तिजारत भी अदब भी
अब्दुल अहद साज़
अबस है राज़ को पाने की जुस्तुजू क्या है
अब्दुल अहद साज़
मैं अपने आप में गहरा उतर गया शायद
अब्बास ताबिश
बैठे रहने से तो लौ देते नहीं ये जिस्म ओ जाँ
अब्बास ताबिश
अभी तो घर में न बैठें कहो बुज़ुर्गों से
अब्बास ताबिश
वो हँसती है तो उस के हाथ रोते हैं
अब्बास ताबिश
अधूरी नज़्म
अब्बास ताबिश
अभी उस की ज़रूरत थी
अब्बास ताबिश
ये वाहिमे भी अजब बाम-ओ-दर बनाते हैं
अब्बास ताबिश
ये हम जो हिज्र में उस का ख़याल बाँधते हैं
अब्बास ताबिश
ये हम जो हिज्र में उस का ख़याल बाँधते हैं
अब्बास ताबिश
ये देख मिरे नक़्श-ए-कफ़-ए-पा मिरे आगे
अब्बास ताबिश
वो कौन है जो पस-ए-चश्म-ए-तर नहीं आता
अब्बास ताबिश
तेरी आँखों से अपनी तरफ़ देखना भी अकारत गया
अब्बास ताबिश
शिकस्ता-ख़्वाब-ओ-शिकस्ता-पा हूँ मुझे दुआओं में याद रखना
अब्बास ताबिश
शायद किसी बला का था साया दरख़्त पर
अब्बास ताबिश
शजर समझ के मिरा एहतिराम करते हैं
अब्बास ताबिश
साँस के हम-राह शो'ले की लपक आने को है
अब्बास ताबिश
सदा-ए-ज़ात के ऊँचे हिसार में गुम है
अब्बास ताबिश
रातें गुज़ारने को तिरी रहगुज़र के साथ
अब्बास ताबिश
पस-ए-ग़ुबार मदद माँगते हैं पानी से
अब्बास ताबिश
परिंदे पूछते हैं तुम ने क्या क़ुसूर किया
अब्बास ताबिश
नींदों का एक आलम-ए-असबाब और है
अब्बास ताबिश
निगाह-ए-अव्वलीं का है तक़ाज़ा देखते रहना
अब्बास ताबिश
मुसाफ़िरत में शब-ए-वग़ा तक पहुँच गए हैं
अब्बास ताबिश
मैं अपने इश्क़ को ख़ुश-एहतिमाम करता हुआ
अब्बास ताबिश