Hope Poetry (page 8)
सद-बर्ग गह दिखाई है गह अर्ग़वाँ बसंत
इंशा अल्लाह ख़ान
नींद मस्तों को कहाँ और किधर का तकिया
इंशा अल्लाह ख़ान
न तो काम रखिए शिकार से न तो दिल लगाइए सैर से
इंशा अल्लाह ख़ान
मिल गए पर हिजाब बाक़ी है
इंशा अल्लाह ख़ान
लो फ़क़ीरों की दुआ हर तरह आबाद रहो
इंशा अल्लाह ख़ान
काश अब्र करे चादर-ए-महताब की चोरी
इंशा अल्लाह ख़ान
कमर बाँधे हुए चलने को याँ सब यार बैठे हैं
इंशा अल्लाह ख़ान
हज़रत-ए-इश्क़ इधर कीजे करम या माबूद
इंशा अल्लाह ख़ान
है मुझ को रब्त बस-कि ग़ज़ालान-ए-रम के साथ
इंशा अल्लाह ख़ान
फ़क़ीराना है दिल मुक़ीम उस की रह का
इंशा अल्लाह ख़ान
बस्ती तुझ बिन उजाड़ सी है
इंशा अल्लाह ख़ान
अश्क मिज़्गान-ए-तर की पूँजी है
इंशा अल्लाह ख़ान
आने अटक अटक के लगी साँस रात से
इंशा अल्लाह ख़ान
शाख़-ए-अदम
इंजिला हमेश
ख़ुदा से कलाम
इंजिला हमेश
कर्ब आगही
इंजिला हमेश
जिला
इंजिला हमेश
राज़ी-नामा
इंजील सहीफ़ा
अन-छूई कथा
इंजील सहीफ़ा
सीप मुट्ठी में है आफ़ाक़ भी हो सकता है
इंजील सहीफ़ा
फ़ज़ा में रंग से बिखरे हैं चाँदनी हुई है
इंजील सहीफ़ा
किस को हम-सफ़र समझें जो भी साथ चलते हैं
इंद्र मोहन मेहता कैफ़
बहार आई तो खुल कर कहा है फूलों ने
इन्दिरा वर्मा
यूँ वफ़ा के सारे निभाओ ग़म कि फ़रेब में भी यक़ीन हो
इन्दिरा वर्मा
ये शफ़क़ चाँद सितारे नहीं अच्छे लगते
इन्दिरा वर्मा
तिरे ख़याल का चर्चा तिरे ख़याल की बात
इन्दिरा वर्मा
शिकस्ता-दिल अँधेरी शब अकेला राहबर क्यूँ हो
इन्दिरा वर्मा
शफ़क़ के रंग निकलने के बाद आई है
इन्दिरा वर्मा
मुझे रंग दे न सुरूर दे मिरे दिल में ख़ुद को उतार दे
इन्दिरा वर्मा
काश वो पहली मोहब्बत के ज़माने आते
इन्दिरा वर्मा