तेज़ी नहीं मिनजुमला-ए-औसाफ़-ए-कमाल
काठ की हंडिया चढ़ी कब बार बार
छोटे काम का बड़ा नतीजा
चक्खी भी है तू ने दुर्द-ए-जाम-ए-तौहीद
हम आलम-ए-ख़्वाब में हैं या हम हैं ख़्वाब
बदला नहीं कोई भेस नाचारी से
तारीक है रात और दुनिया ज़ख़्ख़ार
दुनिया के लिए हैं सब हमारे धंदे
इख़्फ़ा के लिए है इस क़दर जोश-ओ-ख़रोश
बा-ईं हमा-सादगी है पुरकारी भी
ऐ बे-ख़बरी की नींद सोने वालो
मक़्सूद है क़ैद-ए-जुस्तुजू से बाहर