वो आएँ तो होगी तमन्नाओं की ईद
ऐ रौनक़-ए-लाला-ज़ार वापस आ जा
बंदे क्या चाहता है दाम-ओ-दीनार
ग़ुंचे तेरी ज़िंदगी पे दिल हिलता है
जल्वों की है बारगाह मेरे दिल में
कल रात गए ऐन-ए-तरब के हंगाम
लिल्लाह हमारे ग़ुर्फ़ा-ए-दीं को न छोप
इंसान की तबाहियों से क्यूँ हिले दिल-गीर
साहिल, शबनम, नसीम, मैदान-ए-तुयूर
बरसात है दिल डस रहा है पानी
ये बज़्म-गीर अमल है बे-नग़्मा-ओ-सौत
ममनूअ शजर से लुत्फ़-ए-पैहम लेने