लिल्लाह हमारे ग़ुर्फ़ा-ए-दीं को न छोप
वो आएँ तो होगी तमन्नाओं की ईद
बे-नग़्मा है ऐ 'जोश' हमारा दरबार
साहिल, शबनम, नसीम, मैदान-ए-तुयूर
हर रंग में इबलीस सज़ा देता है
मफ़्लूज हर इस्तिलाह-ईमाँ कर दे
दिल की जानिब रुजूअ होता हूँ मैं
बरसात है दिल डस रहा है पानी
ये बज़्म-गीर अमल है बे-नग़्मा-ओ-सौत
मुबहम पयाम
बाक़ी नहीं एक शुऊर रखने वाला
जाने वाले क़मर को रोके कोई