ऐ रौनक़-ए-लाला-ज़ार वापस आ जा
औरों को बताऊँ क्या मैं घातें अपनी
बरसात है दिल डस रहा है पानी
ज़ब्त-ए-गिर्या
अफ़्सोस शराब पी रहा हूँ तन्हा
हर इल्म ओ यक़ीं है इक गुमाँ ऐ साक़ी
पुर-हौल-शिकम अरीज़ सीने वालो
बे-नग़्मा है ऐ 'जोश' हमारा दरबार
बाग़ों पे छा गई है जवानी साक़ी
दिल की जानिब रुजूअ होता हूँ मैं
कल रात गए ऐन-ए-तरब के हंगाम
साहिल, शबनम, नसीम, मैदान-ए-तुयूर