दम निकल जाएगा रुख़्सत का अभी नाम न लो
तुम जो उठ्ठे तो बिठा दूँगा अज़ादारों में
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Gulzar
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(317) Peoples Rate This
बाज़ू पे रख के सर जो वो कल रात सो गया
वक़्त दो मुझ पर कठिन गुज़रे हैं सारी उम्र में
ख़त फाड़ के फेंका है तो लिक्खा भी मिटा दो
इस बात का मलाल नहीं है कि दिल गया
वो पहली सब वफ़ाएँ क्या हुईं अब ये जफ़ा कैसी
अपने दिल को तिरी आँखों पे फ़िदा करता हूँ
किसी के दर्द-ए-मोहब्बत ने उम्र भर के लिए
हस्ती-ए-ग़ैर का सज्दा है मोहब्बत में गुनाह
निगाहों में फिरती है आठों-पहर
जब कहा तीर तिरी आँख ने अक्सर मारा
मैं मसीहा उसे समझता हूँ
तू न आएगा तो हो जाएँगी ख़ुशियाँ सब ख़ाक