दिल काम का नहीं तो न लो जान नज़्र है
इतनी ज़रा सी बात पे झगड़ा न चाहिए
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Rahat Indori
Gulzar
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(311) Peoples Rate This
मियान-ए-हश्र ये काफ़िर बड़े इतराए फिरते हैं
दम-ए-ख़्वाब-ए-राहत बुलाया उन्हों ने तो दर्द-ए-निहाँ की कहानी कहूँगा
दिल उन को मुफ़्त देने में दुश्मन को रश्क क्यूँ
इसी को पी के होती है शिफ़ा बीमार-ए-उल्फ़त को
क़िबला बन जाए जहाँ तू कोई पत्थर रख दे
मेरा रंग रूप बिगड़ गया मिरा यार मुझ से बिछड़ गया
जलेगा दिल तुम्हें बज़्म-ए-अदू में देख कर मेरा
न किसी की आँख का नूर हूँ न किसी के दिल का क़रार हूँ
ये तो मुमकिन नहीं मोहब्बत में
इक नक़्श-ए-ख़याल रू-ब-रू है
वक़्त-ए-आख़िर याद है साक़ी की मेहमानी मुझे
मोहब्बत में किसी ने सर पटकने का सबब पूछा