इंतिक़ाम-ए-ग़म-ओ-अलम लेंगे
ज़िंदगी को बदल के दम लेंगे
मर गए तो फ़ज़ा-ए-गीती के
ज़र्रे ज़र्रे में हम जनम लेंगे
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Parveen Shakir
Habib Jalib
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Wasi Shah
Rahat Indori
Allama Iqbal
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चाँदनी से धुली हुई रातें
एहसास-ए-नशात की कमी देखोगे
एक एक्ट्रेस
आप आए तो मुझ को याद आया
मैं तो क्या मुझ को देखने वाला
सरहद-ए-होश से गुज़रता हूँ
ख़ुदा से लोग भी ख़ाइफ़ कभी थे
ले के दिल दर्द पाएदार दिया
माहौल से ज़ुल्मत की रिदा हटती है
मेरी फ़िक्र-ओ-नज़र के चेहरे पर
इतना भी ना-उमीद दिल-ए-कम-नज़र न हो
आँखों में सहर झलक रही है गोया