रूह की आँच में उबाला है
मुद्दतों ख़ून-ए-दिल से पाला है
अपने शेरों में जब कहीं मैं ने
ज़िंदगी की तड़प को ढाला है
Gulzar
Wasi Shah
Allama Iqbal
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Javed Akhtar
Rahat Indori
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
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बद-गुमाँ मुझ से न ऐ फ़स्ल-ए-बहाराँ होना
तिरा तज़्किरा सू-ब-सू क्यूँ करें हम
एक आम सी लड़की
बीते हुए लम्हों का इशारा ले कर
शो'लों के भँवर मचल रहे हों जैसे
तूफ़ान-ए-ग़म की तुंद हवाओं के बावजूद
एक धोका है ये शब-रंग सवेरा क्या है
हयात है कि मुसलसल सफ़र का आलम है
एक एक्ट्रेस
ख़ुदा से लोग भी ख़ाइफ़ कभी थे
चाँदनी से धुली हुई रातें
ले के दिल दर्द पाएदार दिया