दबा के क़ब्र में सब चल दिए दुआ न सलाम
ज़रा सी देर में क्या हो गया ज़माने को
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Allama Iqbal
Gulzar
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(429) Peoples Rate This
रहा बरसात में ऐ शैख़ मैं सूखा न तू सूखा
ज़रा रूठ जाने पे इतनी ख़ुशामद
अगर छूटा भी उस से आइना-ख़ाना तो क्या होगा
'क़मर' किसी से भी दिल का इलाज हो न सका
सुकूँ-पसंद जो दीवानगी मिरी होती
फ़लक ना-मेहरबाँ है मिल रहे हैं मेहरबाँ फिर भी
वो आग़ाज़-ए-मोहब्बत का ज़माना
शैख़ आख़िर ये सुराही है कोई ख़ुम तो नहीं
हटी ज़ुल्फ़ उन के चेहरे से मगर आहिस्ता आहिस्ता
तेरे क़ुर्बान 'क़मर' मुँह सर-ए-गुलज़ार न खोल
पूछो न अरक़ रुख़्सारों से रंगीनी-ए-हुस्न को बढ़ने दो
हुस्न कब इश्क़ का ममनून-ए-वफ़ा होता है