मुझे तावीज़ लिख दो ख़ून-ए-आहू से कि ऐ स्यानो
तग़ाफ़ुल टोटका है और जादू है नज़र उस की
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जब से तेरी नज़र पड़ी है झलक
नहीं है शिकवा अगर वो नज़र नहीं आता
इश्क़ उस का आन कर यक-बारगी सब ले गया
बस नहीं चलता जो उस दम उन के ऊपर गर पड़े
यार निकला है आफ़्ताब की तरह
देख बुनियाद रब की आदम है
ज़ाहिदो उठ जाओ मज्लिस से कि आज
बैत-बहसी न कर ऐ फ़ाख़्ता गुलशन में कि आज
अदल से कर सल्तनत ऐ दिल तू तन के मुल्क में
दौरा है जब से बज़्म में तेरी शराब का
जुम्बिश-ए-दिल नहीं बेजा तू किधर भूला है
उस वक़्त दिल मिरा तिरे पंजे के बीच था