जो सफ़र भी था ज़िंदगानी का
यूँही बे-रस्म-ओ-राह हम ने किया
ख़ुद गुनाहों को शर्म आई है
ऐसा ऐसा गुनाह हम ने किया
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Anwar Masood
Gulzar
Rahat Indori
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
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ये आज आए हैं किस अजनबी से देस में हम
ख़ुद-कुशी
राजा रानी की कहानी
वो थे पहलू में और थी चाँदनी रात
इक फ़क़त याद है जाना उन का
इस निय्यत से तंग आ के रोए हम लोग
सब सब्र-ओ-शकेब-ओ-होश खो देता हूँ
ये फूल चमन को क्या सँवारें साक़ी
अजनबी ख़त-ओ-ख़ाल
आज कुछ मुज़्महिल सी यादों के
सुकून-ए-क़ल्ब ओ शकेब-ए-नज़र की बात करो
हर ज़र्रा उभर के कह रहा है