जाती नहीं है सई रह-ए-आशिक़ी में पेश
जो थक के रह गया वही साबित-क़दम हुआ
Javed Akhtar
Rahat Indori
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
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वाइ'ज़ ओ शैख़ सभी ख़ूब हैं क्या बतलाऊँ
ईद है हम ने भी जाना कि न होती गर ईद
रोने ने मिरे सैकड़ों घर ढा दिये लेकिन
है आईना-ख़ाने में तिरा ज़ौक़-फ़ज़ा रक़्स
चले हो दश्त को 'नाज़िम' अगर मिले मजनूँ
बंद महरम के वो खुलवातें हैं हम से बेशतर
ज़ाहिर में अगरचे यार ग़म-ख़्वार नहीं
जब गुज़रती है शब-ए-हिज्र मैं जी उठता हूँ
हम ने सौ सौ तरह बनाई बात
यहाँ काल से है तरह तरह की तकलीफ़
क्या खाएँ हम वफ़ा में अब ईमान की क़सम
ऐ नोश-ए-लब-ओ-माह-रुख़-ओ-ज़ोहरा-जबीं