अख़्तर अंसारी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अख़्तर अंसारी (page 6)
नाम | अख़्तर अंसारी |
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अंग्रेज़ी नाम | Akhtar Ansari |
जन्म की तारीख | 1909 |
मौत की तिथि | 1988 |
कविताएं
Ghazal 46
Couplets 25
Rubaai 24
Qita 74
Love 50
Sad 42
Heart Broken 47
Bewafa 7
Hope 28
Friendship 4
Islamic 4
बारिश 2
ख्वाब 10
Sharab 10
जो दाग़ बन के तमन्ना तमाम हो जाए
जाँ-सिपारी के भी अरमाँ ज़िंदगी की आस भी
हयात इंसाँ की सर ता पा ज़बाँ मालूम होती है
हर वक़्त नौहा-ख़्वाँ सी रहती हैं मेरी आँखें
ग़म-ज़दा हैं मुब्तला-ए-दर्द हैं नाशाद हैं
ग़म-ए-हयात कहानी है क़िस्सा-ख़्वाँ हूँ मैं
दिन मुरादों के ऐश की रातें
दिल-ए-फ़सुर्दा में कुछ सोज़ ओ साज़ बाक़ी है
दिल के अरमान दिल को छोड़ गए
चीर कर सीने को रख दे गर न पाए ग़म-गुसार
चर्ख़ की सई-ए-जफ़ा कोशिश नाकारा है
बहार-ए-फ़िक्र के जल्वे लुटा दिए हम ने
बहार आई ज़माना हुआ ख़राबाती
अपनी उजड़ी हुई दुनिया की कहानी हूँ मैं
अपनी बहार पे हँसने वालो कितने चमन ख़ाशाक हुए
अब वो सीना है मज़ार-ए-आरज़ू
आरज़ू को रूह में ग़म बन के रहना आ गया
आईना-ए-निगाह में अक्स-ए-शबाब है
आफ़तों में घिर गया हूँ ज़ीस्त से बे-ज़ार हूँ