अख़्तर अंसारी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अख़्तर अंसारी (page 2)
नाम | अख़्तर अंसारी |
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अंग्रेज़ी नाम | Akhtar Ansari |
जन्म की तारीख | 1909 |
मौत की तिथि | 1988 |
तैरे गीतों की लय अरे तौबा
सुब्ह की तनवीर बन कर आई वो नाज़ुक-ख़िराम
सारा जहाँ है चाँद की किरनों से सीम-गूँ
सई-ए-राहत हो गई ख़्वाब-ओ-ख़याल
सच तो ये है जहाँ में मेरे ब'अद
रात को बैठ कर लब-ए-दरिया
क़ल्ब ज़िंदा है लफ़्ज़ हैं बे-जान
पिहना-ए-आसमाँ पे हैं तारी उदासियाँ
फुवार, अब्र, परिंदों के गीत, मस्त हवा
पानी ले सकते हैं दरिया से मगर कूज़े में हम
पढ़ा है मैं ने फ़सानों में जिस तरह 'अख़्तर'
नींद आती है इस तरह शब को
नसीम, फूलों की रौनक़, खिले हुए तारे
नश्शा-ए-ख़्वाब में मदहोश है सारी दुनिया
मुतरिबा जब सदा-ए-साज़ के साथ
मोहब्बत! ऐ कि तू देवी है ग़म की रोए जा
मौत की सी पुर-सुकूँ वीरानियाँ
कोई जंगल में गा रहा है गीत
किसी ख़याल में मदहोश जा रहा था मैं
किस क़यामत के लम्हे थे 'अख़्तर'
ख़ूँ-भरे जाम उंडेलता हूँ मैं
कर दिया हाफ़िज़े में हश्र बपा
जो पूछता है कोई सुर्ख़ क्यूँ हैं आज आँखें
जिन को है ऐश-ए-दिल मयस्सर, वो
जी को नाहक़ निढाल करते हो
झूमती है फ़ज़ा-ए-दश्त-ओ-जबल
जा रहा था मैं सर झुकाए हुए
इस रुपहली शराब-ए-नूरीं से
इस मईशत के साए में हमदम
इलाही उस को मोहब्बत से कुछ तअल्लुक़ है