अख़्तर अंसारी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अख़्तर अंसारी (page 4)
नाम | अख़्तर अंसारी |
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अंग्रेज़ी नाम | Akhtar Ansari |
जन्म की तारीख | 1909 |
मौत की तिथि | 1988 |
आब-ए-दरिया में है जिस तरह रवानी पिन्हाँ
इक टीस कलेजे को मसलती ही रही
इक तीर कलेजे में पिरोया हम ने
बुत लाखों मोहब्बत में तराशे ऐसे
ऐ बख़्त! मज़े कुछ तो उठाऊँ मैं भी
आता नहीं साँसों में मज़ा पीने का
आसूदगी-ए-ज़ात नहीं हो सकती
आफ़ात-ओ-हवादिस से भरी है दुनिया
यारों के इख़्लास से पहले दिल का मिरे ये हाल न था
याद-ए-माज़ी अज़ाब है या-रब
वो माज़ी जो है इक मजमुआ अश्कों और आहों का
उस से पूछे कोई चाहत के मज़े
सुनने वाले फ़साना तेरा है
शबाब-ए-दर्द मिरी ज़िंदगी की सुब्ह सही
शबाब नाम है उस जाँ-नवाज़ लम्हे का
समझता हूँ मैं सब कुछ सिर्फ़ समझाना नहीं आता
रोए बग़ैर चारा न रोने की ताब है
रंग ओ बू में डूबे रहते थे हवास
रगों में दौड़ती हैं बिजलियाँ लहू के एवज़
मिला के क़तरा-ए-शबनम में रंग ओ निकहत-ए-गुल
मिरी ख़बर तो किसी को नहीं मगर 'अख़्तर'
मैं किसी से अपने दिल की बात कह सकता न था
कोई रोए तो मैं बे-वजह ख़ुद भी रोने लगता हूँ
कोई मआल-ए-मोहब्बत मुझे बताओ नहीं
जब से मुँह को लग गई 'अख़्तर' मोहब्बत की शराब
इस में कोई मिरा शरीक नहीं
इलाज-ए-'अख़्तर'-ए-ना-काम क्यूँ नहीं मुमकिन
हाँ कभी ख़्वाब-ए-इश्क़ देखा था
दूसरों का दर्द 'अख़्तर' मेरे दिल का दर्द है
दिल-ए-फ़सुर्दा में कुछ सोज़ ओ साज़ बाक़ी है