अख़्तर अंसारी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अख़्तर अंसारी (page 3)
नाम | अख़्तर अंसारी |
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अंग्रेज़ी नाम | Akhtar Ansari |
जन्म की तारीख | 1909 |
मौत की तिथि | 1988 |
इधर दिमाग़ हैं साकित दिलों को सकता है
हुस्न की दास्ताँ बना डाला
हो के बे-फ़िक्र तान उड़ाए जा
हवाएँ ख़ुनुक चाँदनी पुर-सुकूँ
हवा थी ठंडी ठंडी चाँदनी थी और दरिया था
हर तरफ़ एक बे-हिजाबी है
हमेशा वक़्त-ए-सहर जब क़रीब होता है
हमेशा जागते ही जागते सहर कर दी
हल्की हल्की फुवार के दौरान में
है ग़म-ए-रोज़गार का मौज़ूअ
हाए क्या क़हर थी वो पहली नज़र
गुलशन-ए-आरज़ू की दीद के ब'अद
गोशा-ए-बाग़ की मुलाक़ातें
गोशा-ए-बाग़ और बज़्म-ए-तरब
गीत के हाथों लुटा जाता हूँ मैं
ग़म-ए-दिल का इलाज दुनिया में
फ़ुग़ान-ए-ग़म सुरूद-ए-अंजुमीं मालूम होती है
फ़िदा-ए-मंज़िल-ए-बे-जादा हैं ख़ुदा रक्खे
फ़ज़ा उमडी हुई है इक छलकते जाम की मानिंद
फ़ज़ा है नूर की बारिश से सीम-गूँ इस वक़्त
एक तस्वीर खींच दी गोया
एक सब्र-आज़मा जुदाई है
दिल-ए-हसरत-ज़दा में एक शोला सा भड़कता है
दिल तो रोए मगर मैं गाए जाऊँ
दिल को बर्बाद किए जाती है
चाँदनी, तारे, अब्र के टुकड़े
बहुत से इशरत-ए-नौ-रोज़-ओ-ईद में हैं मगन
बातें करने में फूल झड़ते हैं
अब कहाँ हूँ कहाँ नहीं हूँ मैं
आह! मर्ग-ए-आरज़ू का माजरा अब क्या कहूँ