Heart Broken Poetry of Bashir Badr (page 2)

Heart Broken Poetry of Bashir Badr (page 2)
नामबशीर बद्र
अंग्रेज़ी नामBashir Badr
जन्म की तारीख1935
जन्म स्थानBhopal

ग़ज़लों ने वहीं ज़ुल्फ़ों के फैला दिए साए

ग़ज़लों का हुनर अपनी आँखों को सिखाएँगे

दुश्मनी का सफ़र इक क़दम दो क़दम

दिल की बस्ती पुरानी दिल्ली है

बिछी थीं हर तरफ़ आँखें ही आँखें

अजब चराग़ हूँ दिन रात जलता रहता हूँ

ये ज़र्द पत्तों की बारिश मिरा ज़वाल नहीं

ये चराग़ बे-नज़र है ये सितारा बे-ज़बाँ है

वो सूरत गर्द-ए-ग़म में छुप गई हो

वो अपने घर चला गया अफ़्सोस मत करो

वही ताज है वही तख़्त है वही ज़हर है वही जाम है

उदासी आसमाँ है दिल मिरा कितना अकेला है

उदास आँखों से आँसू नहीं निकलते हैं

तारों भरी पलकों की बरसाई हुई ग़ज़लें

सोए कहाँ थे आँखों ने तकिए भिगोए थे

शबनम के आँसू फूल पर ये तो वही क़िस्सा हुआ

सर से पा तक वो गुलाबों का शजर लगता है

सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा

रेत भरी है इन आँखों में आँसू से तुम धो लेना

पिछली रात की नर्म चाँदनी शबनम की ख़ुनकी से रचा है

फूल बरसे कहीं शबनम कहीं गौहर बरसे

पत्थर के जिगर वालो ग़म में वो रवानी है

पहला सा वो ज़ोर नहीं है मेरे दुख की सदाओं में

मिरी ज़िंदगी भी मिरी नहीं ये हज़ार ख़ानों में बट गई

मेरी आँखों में तिरे प्यार का आँसू आए

मेरे सीने पर वो सर रक्खे हुए सोता रहा

मेरे दिल की राख कुरेद मत इसे मुस्कुरा के हवा न दे

मान मौसम का कहा छाई घटा जाम उठा

मैं तुम को भूल भी सकता हूँ इस जहाँ के लिए

मैं कब तन्हा हुआ था याद होगा

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