पल-भर न बिजलियों के मुक़ाबिल ठहर सके
इतना भी कम-सवाद मिरा आशियाँ कहाँ
Anwar Masood
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Rahat Indori
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Gulzar
Mir Taqi Mir
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देखना ये इश्क़ में हुस्न-ए-पज़ीराई के रंग
वो कम-सिनी में भी 'अख़्गर' हसीन था लेकिन
साज़ में सोज़ जब नहीं आता
देखो हमारी सम्त कि ज़िंदा हैं हम अभी
हर तरफ़ हैं ख़ाना-बर्बादी के मंज़र बे-शुमार
ख़ल्वत-ए-जाँ में तिरा दर्द बसाना चाहे
शिकस्ता दिल किसी का हो हम अपना दिल समझते हैं
फ़ुक़दान-ए-उरूज-ए-रसन-ओ-दार नहीं है
वो दिल में और क़रीब-ए-रग-ए-गुलू भी मिले
जो मुसाफ़िर भी तिरे कूचे से गुज़रा होगा
हसीन सूरत हमें हमेशा हसीं ही मालूम क्यूँ न होती
यादों का शहर-ए-दिल में चराग़ाँ नहीं रहा