हसरत मोहानी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का हसरत मोहानी (page 3)
नाम | हसरत मोहानी |
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अंग्रेज़ी नाम | Hasrat Mohani |
जन्म की तारीख | 1875 |
मौत की तिथि | 1951 |
जन्म स्थान | Delhi |
छुप नहीं सकती छुपाने से मोहब्बत की नज़र
छेड़ा है दस्त-ए-शौक़ ने मुझ से ख़फ़ा हैं वो
छेड़ नाहक़ न ऐ नसीम-ए-बहार
भूल ही जाएँ हम को ये तो न हो
बे-ज़बानी तर्जुमान-ए-शौक़ बेहद हो तो हो
बरसात के आते ही तौबा न रही बाक़ी
बर्क़ को अब्र के दामन में छुपा देखा है
बद-गुमाँ आप हैं क्यूँ आप से शिकवा है किसे
बाम पर आने लगे वो सामना होने लगा
अल्लाह-री जिस्म-ए-यार की ख़ूबी कि ख़ुद-ब-ख़ुद
ऐसे बिगड़े कि फिर जफ़ा भी न की
ऐ याद-ए-यार देख कि बा-वस्फ़-ए-रंज-ए-हिज्र
आरज़ू तेरी बरक़रार रहे
आप को आता रहा मेरे सताने का ख़याल
आईने में वो देख रहे थे बहार-ए-हुस्न
कृष्ण
यूँ तो आशिक़ तिरा ज़माना हुआ
याद कर वो दिन कि तेरा कोई सौदाई न था
वो चुप हो गए मुझ से क्या कहते कहते
वस्ल की बनती हैं इन बातों से तदबीरें कहीं
उस बुत के पुजारी हैं मुसलमान हज़ारों
उन को रुस्वा मुझे ख़राब न कर
उन को जो शुग़्ल-ए-नाज़ से फ़ुर्सत न हो सकी
तुझ से गरवीदा यक ज़माना रहा
तोड़ कर अहद-ए-करम ना-आश्ना हो जाइए
तिरे दर्द से जिस को निस्बत नहीं है
तासीर-ए-बर्क़-ए-हुस्न जो उन के सुख़न में थी
ताबाँ जो नूर-ए-हुस्न ब-सिमा-ए-इश्क़ है
सियहकार थे बा-सफ़ा हो गए हम
सितम हो जाए तम्हीद-ए-करम ऐसा भी होता है