ईमाँ भी लाज रख न सका मेरे झूट की
अपने ख़ुदा पे कितना मुझे ए'तिमाद था
Javed Akhtar
Anwar Masood
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Gulzar
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(748) Peoples Rate This
पिंदार-ए-ज़ोहद हो कि ग़ुरूर-ए-बरहमनी
हर क़दम पर नित-नए साँचे में ढल जाते हैं लोग
दस्तक हवा ने दी है ज़रा ग़ौर से सुनो
इस शहर-ए-ख़ुफ़्तगाँ में कोई तो अज़ान दे
इस दश्त-ए-सुख़न में कोई क्या फूल खिलाए
तख़ातुब है तुझ से ख़याल और का है
जवाब
तज़ाद
'शाइर' उन की दोस्ती का अब भी दम भरते हैं आप
तुझ से वफ़ा न की तो किसी से वफ़ा न की