Bewafa Poetry (page 27)
ऐ मिरे ज़ख़्म-ए-दिल-नवाज़ ग़म को ख़ुशी बनाए जा
आरज़ू लखनवी
दिल की बाज़ी लगा के देख लिया
अरुण कुमार आर्य
निगाह-ए-शौक़ से कब तक मुक़ाबला करते
अर्शी भोपाली
नशीली छाँव में बीते हुए ज़मानों को
अर्शी भोपाली
क़ल्ब-ओ-नज़र का सुकूँ और कहाँ दोस्तो
अरशद सिद्दीक़ी
किसी सूरत अगर इज़हार की सूरत निकल आए
अरशद लतीफ़
ऐ दिल तिरे तुफ़ैल जो मुझ पर सितम हुए
अरशद कमाल
ख़्वाब क्या है कि टूटता ही नहीं
अरशद जमाल हश्मी
सितम वो तुम ने किए भूले हम गिला दिल का
अरशद अली ख़ान क़लक़
ये बोले जो उन को कहा बे-मुरव्वत
अरशद अली ख़ान क़लक़
वा'दा-ख़िलाफ़ कितने हैं ऐ रश्क-ए-माह आप
अरशद अली ख़ान क़लक़
था क़स्द-ए-क़त्ल-ए-ग़ैर मगर मैं तलब हुआ
अरशद अली ख़ान क़लक़
सितम वो तुम ने किए भूले हम गिला दिल का
अरशद अली ख़ान क़लक़
रोज़-ए-अव्वल से असीर ऐ दिल-ए-नाशाद हैं हम
अरशद अली ख़ान क़लक़
रग-ओ-पै में भरा है मेरे शोर उस की मोहब्बत का
अरशद अली ख़ान क़लक़
जो साक़िया तू ने पी के हम को दिया है जाम-ए-शराब आधा
अरशद अली ख़ान क़लक़
इश्क़ में तेरे जान-ए-ज़ार हैफ़ है मुफ़्त में चली
अरशद अली ख़ान क़लक़
हुज़ूर-ए-ग़ैर तुम उश्शाक़ की तहक़ीर करते हो
अरशद अली ख़ान क़लक़
हम ने एहसान असीरी का न बर्बाद किया
अरशद अली ख़ान क़लक़
हम तो हों दिल से दूर रहें पास और लोग
अरशद अली ख़ान क़लक़
गर दिल में कर के सैर-ए-दिल-ए-दाग़-दार देख
अरशद अली ख़ान क़लक़
दफ़्तर जो गुलों के वो सनम खोल रहा है
अरशद अली ख़ान क़लक़
बशर के फ़ैज़-ए-सोहबत से लियाक़त आ ही जाती है
अरशद अली ख़ान क़लक़
बाक़ी न हुज्जत इक दम-ए-इसबात रह गई
अरशद अली ख़ान क़लक़
अदा से देख लो जाता रहे गिला दिल का
अरशद अली ख़ान क़लक़
आश्ना होते ही उस इश्क़ ने मारा मुझ को
अरशद अली ख़ान क़लक़
आशिक़-ए-गेसू-ओ-क़द तेरे गुनहगार हैं सब
अरशद अली ख़ान क़लक़
मेहर ओ महताब को मेरे ही निशाँ जानती है
अरशद अब्दुल हमीद
वक़्त का झोंका जो सब पत्ते उड़ा कर ले गया
अर्श सिद्दीक़ी
हैराँ हूँ कि ये कौन सा दस्तूर-ए-वफ़ा है
अर्श सिद्दीक़ी