Heart Broken Poetry (page 212)
मुसाफ़िरों से कहो अपनी प्यास बाँध रखें
अज़ीज़ नबील
मैं किसी आँख से छलका हुआ आँसू हूँ 'नबील'
अज़ीज़ नबील
ये किस वहशत-ज़दा लम्हे में दाख़िल हो गए हैं
अज़ीज़ नबील
ये किस मक़ाम पे लाया गया ख़ुदाया मुझे
अज़ीज़ नबील
वो दुख नसीब हुए ख़ुद-कफ़ील होने में
अज़ीज़ नबील
वक़्त की आँख में सदियों की थकन है, मैं हूँ
अज़ीज़ नबील
सुनो मुसाफ़िर! सराए-जाँ को तुम्हारी यादें जला चुकी हैं
अज़ीज़ नबील
सुब्ह-सवेरे ख़ुशबू पनघट जाएगी
अज़ीज़ नबील
सुब्ह और शाम के सब रंग हटाए हुए हैं
अज़ीज़ नबील
सर-ए-सहरा-ए-जाँ हम चाक-दामानी भी करते हैं
अज़ीज़ नबील
परिंदे झील पर इक रब्त-ए-रूहानी में आए हैं
अज़ीज़ नबील
न जाने कैसी महरूमी पस-ए-रफ़्तार चलती है
अज़ीज़ नबील
मोजज़े का दर खुला और इक असा रौशन हुआ
अज़ीज़ नबील
मिरा सवाल है ऐ क़ातिलान-ए-शब तुम से
अज़ीज़ नबील
मैं नींद के ऐवान में हैरान था कल शब
अज़ीज़ नबील
मैं दस्तरस से तुम्हारी निकल भी सकता हूँ
अज़ीज़ नबील
मैं अपने गिर्द लकीरें बिछाए बैठा हूँ
अज़ीज़ नबील
कुछ देर तो दुनिया मिरे पहलू में खड़ी थी
अज़ीज़ नबील
ख़याल-ओ-ख़्वाब का सारा धुआँ उतर चुका है
अज़ीज़ नबील
ख़ाक चेहरे पे मल रहा हूँ मैं
अज़ीज़ नबील
जिस तरफ़ चाहूँ पहुँच जाऊँ मसाफ़त कैसी
अज़ीज़ नबील
गुज़रने वाली हवा को बता दिया गया है
अज़ीज़ नबील
धूप के जाते ही मर जाऊँगा मैं
अज़ीज़ नबील
दश्त-ओ-सहरा में समुंदर में सफ़र है मेरा
अज़ीज़ नबील
बातों में बहुत गहराई है, लहजे में बड़ी सच्चाई है
अज़ीज़ नबील
अगरचे ज़ेहन के कश्कोल से छलक रहे थे
अज़ीज़ नबील
आएँगे नज़र सुब्ह के आसार में हम लोग
अज़ीज़ नबील
वही हिकायत-ए-दिल थी वही शिकायत-ए-दिल
अज़ीज़ लखनवी
तुम ने छेड़ा तो कुछ खुले हम भी
अज़ीज़ लखनवी
तह में दरिया-ए-मोहब्बत के थी क्या चीज़ 'अज़ीज़'
अज़ीज़ लखनवी