Heart Broken Poetry (page 213)
क़फ़स में जी नहीं लगता है आह फिर भी मिरा
अज़ीज़ लखनवी
फूट निकला ज़हर सारे जिस्म में
अज़ीज़ लखनवी
मुसीबत थी हमारे ही लिए क्यूँ
अज़ीज़ लखनवी
मुझ को का'बा में भी हमेशा शैख़
अज़ीज़ लखनवी
लुत्फ़-ए-बहार कुछ नहीं गो है वही बहार
अज़ीज़ लखनवी
जब से ज़ुल्फ़ों का पड़ा है इस में अक्स
अज़ीज़ लखनवी
हिज्र की रात काटने वाले
अज़ीज़ लखनवी
हाए क्या चीज़ थी जवानी भी
अज़ीज़ लखनवी
'मीर'
अज़ीज़ लखनवी
लज़्ज़त-ए-ग़म
अज़ीज़ लखनवी
बचपने की याद
अज़ीज़ लखनवी
आतिश-ए-ख़ामोश
अज़ीज़ लखनवी
ये ग़लत है ऐ दिल-ए-बद-गुमाँ कि वहाँ किसी का गुज़र नहीं
अज़ीज़ लखनवी
वो निगाहें क्या कहूँ क्यूँ कर रग-ए-जाँ हो गईं
अज़ीज़ लखनवी
वाइज़ बुतान-ए-दैर से नफ़रत न कीजिए
अज़ीज़ लखनवी
तिरी कोशिश हम ऐ दिल सई-ए-ला-हासिल समझते हैं
अज़ीज़ लखनवी
सामने आइना था मस्ती थी
अज़ीज़ लखनवी
साफ़ बातिन देर से हैं मुंतज़िर
अज़ीज़ लखनवी
रस्म ऐसों से बढ़ाना ही न था
अज़ीज़ लखनवी
न हुई हम से शब बसर न हुई
अज़ीज़ लखनवी
मुसीबत थी हमारे ही लिए क्यूँ
अज़ीज़ लखनवी
मेरे रोने पे ये हँसी कैसी
अज़ीज़ लखनवी
मिरे नासेह मुझे समझा रहे हैं
अज़ीज़ लखनवी
क्यूँ न हो शौक़ तिरे दर पे जबीं-साई का
अज़ीज़ लखनवी
कुछ हिसाब ऐ सितम ईजाद तो कर
अज़ीज़ लखनवी
कर चुके बर्बाद दिल को फ़िक्र क्या अंजाम की
अज़ीज़ लखनवी
जो यहाँ महव-ए-मा-सिवा न हुआ
अज़ीज़ लखनवी
जाम ख़ाली जहाँ नज़र आया
अज़ीज़ लखनवी
इश्क़ जो मेराज का इक ज़ीना है
अज़ीज़ लखनवी
इस वहम की इंतिहा नहीं है
अज़ीज़ लखनवी