Heart Broken Poetry (page 211)
रफ़्तगाँ
अज़ीज़ क़ैसी
मैं!
अज़ीज़ क़ैसी
मैं वफ़ा का सौदागर
अज़ीज़ क़ैसी
कावाक
अज़ीज़ क़ैसी
ग़रीब शहर
अज़ीज़ क़ैसी
फ़स्ल-ए-राएगाँ
अज़ीज़ क़ैसी
एक मंज़र एक आलम
अज़ीज़ क़ैसी
दाद-गर
अज़ीज़ क़ैसी
कंफ़ेशन
अज़ीज़ क़ैसी
चोर-बाज़ार
अज़ीज़ क़ैसी
बाक़ीस्त शब-ए-फ़ित्ना
अज़ीज़ क़ैसी
ब-नाम-ए-इब्न-ए-आदम
अज़ीज़ क़ैसी
बैन-उल-अदमैन
अज़ीज़ क़ैसी
अज़ल-अबद
अज़ीज़ क़ैसी
अल्फ़-ए-लैला की आख़िरी सुब्ह
अज़ीज़ क़ैसी
अहद-नामा-ए-इमराेज़
अज़ीज़ क़ैसी
आख़िरी दिन से पहले
अज़ीज़ क़ैसी
वालिहाना मिरे दिल में मिरी जाँ में आ जा
अज़ीज़ क़ैसी
उलझाओ का मज़ा भी तिरी बात ही में था
अज़ीज़ क़ैसी
तमीज़ अपने में ग़ैर में क्या तुम्हें जो अपना न कर सके हम
अज़ीज़ क़ैसी
पस-ए-तर्क-ए-इश्क़ भी उम्र-भर तरफ़-ए-मिज़ा पे तरी रही
अज़ीज़ क़ैसी
मिटा के अंजुमन-ए-आरज़ू सदा दी है
अज़ीज़ क़ैसी
जितने थे रंग हुस्न-ए-बयाँ के बिगड़ गए
अज़ीज़ क़ैसी
हर आँख लहू सागर है मियाँ हर दिल पत्थर सन्नाटा है
अज़ीज़ क़ैसी
दिल-ख़स्तगाँ में दर्द का आज़र कोई तो आए
अज़ीज़ क़ैसी
आह-ए-बे-असर निकली नाला ना-रसा निकला
अज़ीज़ क़ैसी
वो एक राज़! जो मुद्दत से राज़ था ही नहीं
अज़ीज़ नबील
तमाम शहर को तारीकियों से शिकवा है
अज़ीज़ नबील
फिर नए साल की सरहद पे खड़े हैं हम लोग
अज़ीज़ नबील
न जाने कैसी महरूमी पस-ए-रफ़्तार चलती है
अज़ीज़ नबील