Hope Poetry (page 111)
जलती बुझती हुई आँखों में सितारे लिक्खे
अज़रा वहीद
हवा के लब पे नए इंतिसाब से कुछ हैं
अज़रा वहीद
ग़ुबार-ए-जाँ पस-ए-दीवार-ओ-दर समेटा है
अज़रा वहीद
फ़ज़ा का रंग निखरता दिखाई देता है
अज़रा वहीद
ज़मीं के और तक़ाज़े फ़लक कुछ और कहे
अज़रा परवीन
सिमट गई तो शबनम फूल सितारा थी
अज़रा परवीन
बहर-ए-चराग़ ख़ुद को जलाने वाली मैं
अज़रा परवीन
अब अपनी चीख़ भी क्या अपनी बे ज़बानी क्या
अज़रा परवीन
अब आँख भी मश्शाक़ हुई ज़ेर-ओ-ज़बर की
अज़रा परवीन
मो'तबर से रिश्तों का साएबान रहने दो
अज़रा नक़वी
तुम्हारे आने के ब'अद
अज़रा अब्बास
कहें से कोई नुक़्ता आ जाए
अज़रा अब्बास
दिन
अज़रा अब्बास
अँधेरा
अज़रा अब्बास
अपने दुख-दर्द का अफ़्साना बना लाया हूँ
अज़्म शाकरी
अजीब हालत है जिस्म-ओ-जाँ की हज़ार पहलू बदल रहा हूँ
अज़्म शाकरी
अगर दश्त-ए-तलब से दश्त-ए-इम्कानी में आ जाते
अज़्म शाकरी
सवाल करने के हौसले से जवाब देने के फ़ैसले तक
अज़्म बहज़ाद
कितने मौसम सरगर्दां थे मुझ से हाथ मिलाने में
अज़्म बहज़ाद
ख़राबी
अज़्म बहज़ाद
शाम आई तो कोई ख़ुश-बदनी याद आई
अज़्म बहज़ाद
मुझे कल अचानक ख़याल आ गया आसमाँ खो न जाए
अज़्म बहज़ाद
मैं ने चुप के अंधेरे में ख़ुद को रखा इक फ़ज़ा के लिए
अज़्म बहज़ाद
मैं उम्र के रस्ते में चुप-चाप बिखर जाता
अज़्म बहज़ाद
कितने मौसम सरगर्दां थे मुझ से हाथ मिलाने में
अज़्म बहज़ाद
कहीं गोयाई के हाथों समाअत रो रही है
अज़्म बहज़ाद
जो यहाँ हाज़िर है वो मिस्ल-ए-गुमाँ मौजूद है
अज़्म बहज़ाद
दिल सोया हुआ था मुद्दत से ये कैसी बशारत जागी है
अज़्म बहज़ाद
बे-हद ग़म हैं जिन में अव्वल उम्र गुज़र जाने का ग़म
अज़्म बहज़ाद
बहुत क़रीने की ज़िंदगी थी अजब क़यामत में आ बसा हूँ
अज़्म बहज़ाद