Sharab Poetry (page 38)
इंक़लाब
असरार-उल-हक़ मजाज़
एक जिला-वतन की वापसी
असरार-उल-हक़ मजाज़
दिल्ली से वापसी
असरार-उल-हक़ मजाज़
आवारा
असरार-उल-हक़ मजाज़
आज की रात
असरार-उल-हक़ मजाज़
आज भी
असरार-उल-हक़ मजाज़
आहंग-ए-नौ
असरार-उल-हक़ मजाज़
ये मेरी दुनिया ये मेरी हस्ती
असरार-उल-हक़ मजाज़
ये जहाँ बारगह-ए-रित्ल-ए-गिराँ है साक़ी
असरार-उल-हक़ मजाज़
तस्कीन-ए-दिल-ए-महज़ूँ न हुई वो सई-ए-करम फ़रमा भी गए
असरार-उल-हक़ मजाज़
साज़गार है हमदम इन दिनों जहाँ अपना
असरार-उल-हक़ मजाज़
सारा आलम गोश-बर-आवाज़ है
असरार-उल-हक़ मजाज़
साक़ी-ए-गुलफ़ाम बा-सद एहतिमाम आ ही गया
असरार-उल-हक़ मजाज़
निगाह-ए-लुत्फ़ मत उठ ख़ूगर-ए-आलाम रहने दे
असरार-उल-हक़ मजाज़
न हम-आहंग-ए-मसीहा न हरीफ़-ए-जिब्रील
असरार-उल-हक़ मजाज़
मिरी वफ़ा का तिरा लुत्फ़ भी जवाब नहीं
असरार-उल-हक़ मजाज़
जुनून-ए-शौक़ अब भी कम नहीं है
असरार-उल-हक़ मजाज़
दिल-ए-ख़ूँ-गश्ता-ए-जफ़ा पे कहीं
असरार-उल-हक़ मजाज़
दर्द की दौलत-ए-बेदार अता हो साक़ी
असरार-उल-हक़ मजाज़
दामन-ए-दिल पे नहीं बारिश-ए-इल्हाम अभी
असरार-उल-हक़ मजाज़
बस इस तक़्सीर पर अपने मुक़द्दर में है मर जाना
असरार-उल-हक़ मजाज़
आसमाँ तक जो नाला पहुँचा है
असरार-उल-हक़ मजाज़
तक़द्दुस-ए-मआब
असरार जामई
ऐसा ये दर्द है कि भुलाया न जाएगा
असरा रिज़वी
न मलाल-ए-हिज्र न मुंतज़िर हैं हवा-ए-शाम-ए-विसाल के
असलम महमूद
ये हिकायत तमाम को पहुँची
असलम फ़र्रुख़ी
हंगामा-ए-हस्ती से गुज़र क्यूँ नहीं जाते
असलम फ़र्रुख़ी
वो शब-ए-ग़म जो कम अँधेरी थी
असलम इमादी
वहाँ हर एक इसी नश्शा-ए-अना में है
असलम इमादी
हमारी याद उन्हें आ गई तो क्या होगा
असलम आज़ाद