ऐ मर्द-ए-ख़ुदा नफ़्स को अपने पहचान
बरसात है दिल डस रहा है पानी
वो आएँ तो होगी तमन्नाओं की ईद
औरों को बताऊँ क्या मैं घातें अपनी
बाग़ों पे छा गई है जवानी साक़ी
ग़ुंचे तेरी ज़िंदगी पे दिल हिलता है
इंसान की तबाहियों से क्यूँ हिले दिल-गीर
बंदे क्या चाहता है दाम-ओ-दीनार
अफ़्सोस शराब पी रहा हूँ तन्हा
मुबहम पयाम
क्या तब्ख़ मिलेगा गुल-फ़िशानी कर के
पुर-हौल-शिकम अरीज़ सीने वालो