Qita Poetry (page 2)

ज़बाँ ज़बाँ पे है एलान-ए-तर्क-ए-तम्बाकू

अनवर शऊर

यूँ उस के हसीन आरिज़ों पर

जाँ निसार अख़्तर

यूँ तूँ ख़ासी देर में जा कर इश्क़ का शोला भड़का है

इनाम-उल-हक़ जावेद

यूँ तो अक्सर ख़याल आता था

मुस्तफ़ा ज़ैदी

यूँ नदी में ग़ुरूब के हंगाम

जाँ निसार अख़्तर

यूँ मिरे ज़ेहन में लर्ज़ां है तिरा अक्स-ए-जमील

अहमद नदीम क़ासमी

यूँ लगे तेरे तज़्किरा से अगर

वसीम बरेलवी

यूँ ही बदला हुआ सा इक अंदाज़

जाँ निसार अख़्तर

यूँ दिल की फ़ज़ा में खेलते हैं

जाँ निसार अख़्तर

ये वो फ़ज़ा है जहाँ फ़र्क़-ए-सुब्ह-ओ-शाम नहीं

अब्दुल हमीद अदम

ये तो हैं चंद ही जल्वे जो छलक आए हैं

अली सरदार जाफ़री

ये तो बढ़ती ही चली जाती है मीआद-ए-सितम

जौन एलिया

ये तेरे ख़त तिरी ख़ुशबू ये तेरे ख़्वाब-ओ-ख़याल

जौन एलिया

ये शीरीं राग मेरे हाफ़िज़े को जगमगाता है

अख़्तर अंसारी

ये साग़र-ए-ग़म की गर्दिश है सहबा-ए-तरब का दौर है ये

अख़्तर अंसारी

ये रक़्स रक़्स-ए-शरर ही सही मगर ऐ दोस्त

मख़दूम मुहिउद्दीन

ये पुर-फ़रेब सितारे ये बिजलियों के चराग़

आमिर उस्मानी

ये नुक्ता मैं ने सीखा बुल-हसन से

अल्लामा इक़बाल

ये मुलाक़ात लूटे लेती है

अख़्तर अंसारी

ये मेहर है बे-मेहरी-ए-सय्याद का पर्दा

अल्लामा इक़बाल

ये मंज़र देख कर बीवी ने काटा अपने शौहर को

आसिम पीरज़ादा

ये किसी नाम का नहीं होता

अंजुम रहबर

ये ख़ूँ की महक है कि लब-ए-यार की ख़ुशबू

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

ये कौन आया है गुलशन में ताज़गी ले कर

अफ़ज़ल इलाहाबादी

ये कहते हैं सभी इस दौर में हर काम मुमकिन है

आसिम पीरज़ादा

ये काएनात मुनव्वर है तेरे जल्वों से

अफ़ज़ल इलाहाबादी

ये हुकूमत के पुजारी हैं ये दौलत के ग़ुलाम

अली सरदार जाफ़री

ये हवाएँ तो मुआफ़िक़ थीं बहुत

सूफ़ी तबस्सुम

ये हमारी ईद है

अतहर शाह ख़ान जैदी

ये फ़ज़ा, ये घाटियाँ, ये बदलियाँ ये बूंदियाँ

अहमद नदीम क़ासमी

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