Qita Poetry (page 3)
ये चमेली की अध-खिली कलियाँ
महेश चंद्र नक़्श
ये बोसीदा फटी गुदड़ी ये सूराख़ों भरी कमली
अख़्तर अंसारी
ये बोला दिल्ली के कुत्ते से गाँव का कुत्ता
साग़र ख़य्यामी
ये भी सच है कि मुझे दिल से भुलाया होगा
साग़र ख़य्यामी
ये भी क्या चाल है हर गाम पे महशर का गुमाँ
अहमद नदीम क़ासमी
ये आरज़ुएँ ये जोश-ए-अलम ये सैल-ए-नशात
अख़्तर अंसारी
यास में बेदारी-ए-एहसास का आलम न पूछ
एहसान दानिश
यास
शौकत परदेसी
यक़ीनन सर छुपाने की ग़रज़ से
अनवर शऊर
यक़ीं मिस्ल-ए-ख़लील आतिश-नशीनी
अल्लामा इक़बाल
यक-ब-यक क्यूँ चमक उट्ठी हैं निगाहें तेरी
अली सरदार जाफ़री
यही तो दोस्तो ले दे के मेरा बिज़नेस है
अनवर मसूद
यही दर्द-ए-जुदाई है जो इस शब
मीर तक़ी मीर
यही आदम है सुल्ताँ बहर-ओ-बर का
अल्लामा इक़बाल
याद-ए-माज़ी में यूँ ख़याल तिरा
जाँ निसार अख़्तर
या ख़ादिम-ए-दीं होना या मज़हर-ए-दीं होना
हफ़ीज़ जालंधरी
वो तार के इक खम्बे पे बैठी है अबाबील
अहमद नदीम क़ासमी
वो सर-ए-शाम बाम पर आए
साबिर दत्त
वो सब्ज़ खेत के उस पार एक चटान के पास
अहमद नदीम क़ासमी
वो पानी भरने चली इक जवान पंसारी
अहमद नदीम क़ासमी
वो मेरा रौनक़-ए-महफ़िल कहाँ है
अल्लामा इक़बाल
वो कसी दिन न आ सके पर उसे
जौन एलिया
वो कल के ग़म ओ ऐश पे कुछ हक़ नहीं रखता
अल्लामा इक़बाल
वो हसब-ए-शहर कर लेता है मस्लक में भी तब्दीली
अज़ीज़ फ़ैसल
वो हाल है हर एक बशर काँप रहा है
आसिम पीरज़ादा
वो दूर झील के पानी में तैरता है चाँद
अहमद नदीम क़ासमी
वो दिल नहीं रहा वो तबीअत नहीं रही
अख़्तर अंसारी
वो बहर-ए-कर्ब-ओ-अलम का ख़ुलासा है यकसर
अख़्तर अंसारी
वो अँधेरे जो मुंजमिद से थे
महेश चंद्र नक़्श
वस्ल की शब है और सीने में
अब्दुल हमीद अदम