भला वो हुस्न किस की दस्तरस में आ सका है
कि सारी उम्र भी लिक्खें मक़ाला कम रहेगा
Jaun Eliya
Wasi Shah
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Gulzar
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(525) Peoples Rate This
तुझे दुश्मनों की ख़बर न थी मुझे दोस्तों का पता नहीं
ये लोग इश्क़ में सच्चे नहीं हैं वर्ना हिज्र
कहीं तुम अपनी क़िस्मत का लिखा तब्दील कर लेते
कभी मौसम साथ नहीं देते कभी बेल मुंडेर नहीं चढ़ती
सफ़र की इब्तिदा हुई कि तेरा ध्यान आ गया
याद कहाँ रखनी है तेरा ख़्वाब कहाँ रखना है
लय मोहब्बत की है आहंग सुख़न-साज़ का है
कोई याद ही रख़्त-ए-सफ़र ठहरे कोई राहगुज़र अनजानी हो
तमाम उम्र सितारे तलाश करता फिरा
पुराने साहिलों पर नया गीत
इंतिज़ार और दस्तकों के दरमियाँ कटती है उम्र
और इस से पहले कि साबित हो जुर्म-ए-ख़ामोशी