ये मसला शैख़ से पूछो हम इस झगड़े से फ़ारिग़ है
कि दाढी शहर में किस की बड़ी और किस की छोटी है
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Gulzar
Allama Iqbal
Wasi Shah
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Anwar Masood
Javed Akhtar
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
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ख़ुदा को जिस से पहुँचें हैं वो और ही राह है ज़ाहिद
कभू बीमार सुन कर वो अयादत को तो आता था
तुम कि बैठे हुए इक आफ़त हो
दिल-ए-उश्शाक़ परिंदों की तरह उड़ते हैं
देखूँ हूँ तुझ को दूर से बैठा हज़ार कोस
चमन ख़राब किया, हो ख़िज़ाँ का ख़ाना-ख़राब
मालूम है किसू को कि वो आज शोला-ख़ू
मिरी बातों से अब आज़ुर्दा न होना साक़ी
यूँ न हो यूँ हो यूँ हुआ सो क्यूँ
ज़ाहिद को हम ने देख ख़राबात में कहा
नासेह बग़ल में आ कर दुश्मन हुआ हमारा
शम्अ हर शाम तेरे रोने पर