शाज़ तमकनत कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शाज़ तमकनत (page 1)
नाम | शाज़ तमकनत |
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अंग्रेज़ी नाम | Shaz Tamkanat |
जन्म की तारीख | 1933 |
मौत की तिथि | 1985 |
जन्म स्थान | Hyderabad |
ज़िंदगी हम से तिरे नाज़ उठाए न गए
उस का होना भी भरी बज़्म में है वज्ह-ए-सुकूँ
उन से मिलते थे तो सब कहते थे क्यूँ मिलते हो
सुख़न राज़-ए-नशात-ओ-ग़म का पर्दा हो ही जाता है
शब ओ रोज़ जैसे ठहर गए कोई नाज़ है न नियाज़ है
मिरा ज़मीर बहुत है मुझे सज़ा के लिए
कोई तो आ के रुला दे कि हँस रहा हूँ मैं
किताब-ए-हुस्न है तू मिल खुली किताब की तरह
कभी ज़ियादा कभी कम रहा है आँखों में
एक रात आप ने उम्मीद पे क्या रक्खा है
आगे आगे कोई मिशअल सी लिए चलता था
ज़ंजीर की चीख़
ज़मीं का क़र्ज़
तमाशा
संग-आबाद की एक दुकाँ
रतजगा
क़ैद-ए-हयात ओ बंद-ए-ग़म
ख़ौफ़-ए-सहरा
हम-ज़ाद
दर-गुज़र
छटा आदमी
बे-नंग-ओ-नाम
अजनबी
आब ओ गिल
ज़रा सी बात थी बात आ गई जुदाई तक
यही सफ़र की तमन्ना यही थकन की पुकार
वो नियाज़-ओ-नाज़ के मरहले निगह-ओ-सुख़न से चले गए
वो कौन है जिस की वहशत पर सुनते हैं कि जंगल रोता है
वो गदा-गरान-ए-जल्वा सर-ए-रहगुज़ार चुप थे
तिरी नज़र सबब-ए-तिश्नगी न बन जाए