मौत माँगी थी ख़ुदाई तो नहीं माँगी थी
ले दुआ कर चुके अब तर्क-ए-दुआ करते हैं
Rahat Indori
Habib Jalib
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Gulzar
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1102) Peoples Rate This
कारगाह-ए-दुनिया की नेस्ती भी हस्ती है
दर्द हो तो दवा भी मुमकिन है
बैठा हूँ पाँव तोड़ के तदबीर देखना
दामन-ए-क़ातिल जो उड़ उड़ कर हवा देने लगे
अगर अपनी चश्म-ए-नम पर मुझे इख़्तियार होता
आ रही है ये सदा कान में वीरानों से
ख़ुदी का नश्शा चढ़ा आप में रहा न गया
मुझे दिल की ख़ता पर 'यास' शरमाना नहीं आता
अपनी हद से गुज़र गए अब क्या है
ग़ालिब और मीरज़ा 'यगाना' का
दुनिया से अलग जा के कहीं सर फोड़ो
यकसाँ कभी किसी की न गुज़री ज़माने में