चौंक पड़ता हूँ ख़ुशी से जो वो आ जाते हैं
ख़्वाब में ख़्वाब की ताबीर बिगड़ जाती है
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कोई पूछे तो सही हम से हमारी रूदाद
इश्क़ क्या शय है हुस्न है क्या चीज़
गेसू से अंबरी है सबा और सबा से हम
हम और चाह ग़ैर की अल्लाह से डरो
मुँह छुपाना पड़े न दुश्मन से
मिलने का नहीं रिज़्क़-ए-मुक़द्दर से सिवा और
पान बन बन के मिरी जान कहाँ जाते हैं
वो झूटा इश्क़ है जिस में फ़ुग़ाँ हो
वाँ तबीअत दम-ए-तक़रीर बिगड़ जाती है
आज आए थे घड़ी भर को 'ज़हीर'-ए-नाकाम
वो किस प्यार से कोसने दे रहे हैं
अभी से आ गईं नाम-ए-ख़ुदा हैं शोख़ियाँ क्या-क्या