Love Poetry of Anwar Shuoor

Love Poetry of Anwar Shuoor
नामअनवर शऊर
अंग्रेज़ी नामAnwar Shuoor
जन्म की तारीख1943
जन्म स्थानKarachi

नहीं ख़स्ता-हाली पे ना-मुतमइन हम

सामाँ तो बेहद है दिल में

ज़िंदगी की ज़रूरतों का यहाँ

ठहर सकती है कहाँ उस रुख़-ए-ताबाँ पे नज़र

सभी ज़िंदगी के मज़े लूटते हैं

मुस्कुराए बग़ैर भी वो होंट

मुस्कुरा कर देख लेते हो मुझे

मोहब्बत रही चार दिन ज़िंदगी में

मेरे घर के तमाम दरवाज़े

कोई ज़ंजीर नहीं तार-ए-नज़र से मज़बूत

किया बादलों में सफ़र ज़िंदगी भर

जनाब के रुख़-ए-रौशन की दीद हो जाती

जनाब के रुख़-ए-रौशन की दीद हो जाती

इत्तिफ़ाक़ अपनी जगह ख़ुश-क़िस्मती अपनी जगह

इश्क़ तो हर शख़्स करता है 'शुऊर'

इस तअल्लुक़ में नहीं मुमकिन तलाक़

फ़रिश्तों से भी अच्छा मैं बुरा होने से पहले था

चले आया करो मेरी तरफ़ भी!

अच्छों को तो सब ही चाहते हैं

ज़हर की चुटकी ही मिल जाए बराए दर्द-ए-दिल

ये तन्हाई ये उज़्लत ऐ दिल ऐ दिल

ये मत पूछो कि कैसा आदमी हूँ

ये ख़ुद को देखते रहने की है जो ख़ू मुझ में

यादों के बाग़ से वो हरा-पन नहीं गया

उस बज़्म में क्या कोई सुने राय हमारी

उन की सूरत हमें आई थी पसंद आँखों से

उन से तन्हाई में बात होती रही

तेरी सोहबत में बैठा हूँ

सुलैमान-ए-सुख़न तो ख़ैर क्या हूँ

'शुऊर' वक़्त पे दिल की दवा हुई होती

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