Heart Broken Poetry (page 198)
इस बज़्म में पूछे न कोई मुझ से कि क्या हूँ
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
ये रुख़-ए-यार नहीं ज़ुल्फ़-ए-परेशाँ के तले
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
थे हम इस्तादा तिरे दर पे वले बैठ गए
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
सीखा जो क़लम से न-ए-ख़ाली का बजाना
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
सैर में तेरी है बुलबुल बोस्ताँ बे-कार है
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
रखता है यूँ वो ज़ुल्फ़-ए-सियह-फ़ाम दोश पर
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
मुझे तो इश्क़ में अब ऐश-ओ-ग़म बराबर है
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
मेरी गो आह से जंगल न जले ख़ुश्क तो हो
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
मत तंग हो करे जो फ़लक तुझ को तंग-दस्त
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
काबा तो संग-ओ-ख़िश्त से ऐ शैख़ मिल बना
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
जो तुम और सुब्ह और गुलनार-ए-ख़ंदाँ हो के मिल बैठे
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
जो चश्म-ओ-दिल से चढ़ा दूँ नाले ब-आब-ए-अव्वल दोवम-ब-आतिश
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
जब मेरे दिल जिगर की तिलिस्में बनाइयाँ
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
इश्क़ में बू है किबरियाई की
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
हाँ मियाँ सच है तुम्हारी तो बला ही जाने
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
दिल ख़ूँ है ग़म से और जिगर यक-न-शुद दो-शुद
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
दिल ख़ूँ है ग़म से और जिगर यक न-शुद दो शुद
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
दस्त-ए-नासेह जो मिरे जेब को इस बार लगा
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
छुप के नज़रों से इन आँखों की फ़रामोश की राह
बक़ा उल्लाह 'बक़ा'
सुबुक-सरी में भी अंदेशा-ए-हवा रखना
बाक़र नक़वी
पग पग फूल खिले थे लेकिन तन-मन में थी आग
बाक़र नक़वी
कभी तो याद के गुल-दान में सजाऊँ उसे
बाक़र नक़वी
ऐ कहकशाँ-नवाज़ मुक़द्दर उजाल दे
बाक़र नक़वी
कभी तो भूल गए पी के नाम तक उन का
बाक़र मेहदी
इस तरह कुछ बदल गई है ज़मीं
बाक़र मेहदी
चले तो जाते हो रूठे हुए मगर सुन लो
बाक़र मेहदी
ये रात
बाक़र मेहदी
टूटे शीशे की आख़िरी नज़्म
बाक़र मेहदी
सज़ा
बाक़र मेहदी
रेत और दर्द
बाक़र मेहदी