अफ़्सोस शराब पी रहा हूँ तन्हा
क्या तब्ख़ मिलेगा गुल-फ़िशानी कर के
लिल्लाह हमारे ग़ुर्फ़ा-ए-दीं को न छोप
जल्वों की है बारगाह मेरे दिल में
ख़ुद से न उदास हूँ न मसरूर हूँ मैं
साहिल, शबनम, नसीम, मैदान-ए-तुयूर
पुर-हौल-शिकम अरीज़ सीने वालो
थे पहले खिलौनों की तलब में बेताब
दिल रस्म के साँचे में न ढाला हम ने
वो आएँ तो होगी तमन्नाओं की ईद
मुबहम पयाम
मेरे कमरे की छत पे है उस बुत का मकान