एक मुद्दत सितम उठाने पर
दिल पे लगते हैं सैकड़ों नश्तर
हाल-ए-दिल तुम से आज कहता हूँ
पर-फ़िशाँ है थका थका सा ख़याल
जब कभी आलम-ए-तसव्वुर में
आरज़ू है कि अब मिरी हस्ती
ये चमेली की अध-खिली कलियाँ
चेहरा-ए-आफ़ाक़ को देती है नूर
मुस्कुराया है यूँ तिरा चेहरा
तेरी फ़ितरत सुकूँ-पसंदी है
ना-मुरादी के तुंद तूफ़ाँ में
अपनी फ़ितरत पे नाज़ है मुझ को