दुश्मन को भी दे ख़ुदा न औलाद का दाग़
जाता नहीं हरगिज़ दिल-ए-नाशाद का दाग़
फ़रमाते थे रो के लाश-ए-क़ासिम पे हुसैन
औलाद से कम नहीं है दामाद का दाग़
Ahmad Faraz
Gulzar
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(2731) Peoples Rate This
ला-रैब बहिश्तियों का मरजा है ये
अख़्तर से भी आबरू में बेहतर है ये अश्क
पुतली की तरह नज़र से मस्तूर है तू
ऐ मोमिनो फ़ातिमा का प्यारा शब्बीर
अकबर ने जो घर मौत का आबाद किया
थे ज़ीस्त से अपनी हाथ धोए सज्जाद
ग़फ़लत में न खो उम्र कि पछताएगा
आदम को अजब ख़ुदा ने रुत्बा बख़्शा
उल्फ़त हो जिसे उसे वली कहते हैं
ऐ बख़्त-ए-रसा सू-ए-नजफ़ राही कर
अहबाब से उम्मीद है बे-जा मुझ को
जिस पर कि नज़र लुत्फ़ की शब्बीर करें