पहली बातें हैं न पहले की मुलाक़ातें हैं
अब दिनों में वो रहा लुत्फ़ न रातों में रहा
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Allama Iqbal
Wasi Shah
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Anwar Masood
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Gulzar
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वहाँ से ले गई नाकाम बदबख़्तों को ख़ुद-कामी
महफ़िल-ए-नाज़ से मैं हो के परेशान उठा
हम पाँव भी पड़ते हैं तो अल्लाह-रे नख़वत
सर से दयार-ए-ग़म के सनीचर उतार दे
हाँ ये तो बता ऐ दिल-ए-महरूम-ए-तमन्ना
हिचकियों पर हो रहा है ज़िंदगी का राग ख़त्म
वस्फ़-ए-जमाल-ए-ज़ौक़ है अहल-ए-निगाह का
मेरे सीने में नहीं है तो ये समझो कि न था
कर मुरत्तब कुछ नए अंदाज़ से अपना बयाँ
सब कुछ मुझे मुश्किल है न पूछो मिरी मुश्किल
खो दिया शोहरत ने अपनी शेर-ख़्वानी का मज़ा
जो बला आती है आती है बला की 'नातिक़'