अब्दुल हमीद अदम कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अब्दुल हमीद अदम (page 7)
नाम | अब्दुल हमीद अदम |
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अंग्रेज़ी नाम | Abdul Hamid Adam |
जन्म की तारीख | 1910 |
मौत की तिथि | 1981 |
हम ने हसरतों के दाग़ आँसुओं से धो लिए
हवा सनके ख़ारों की बड़ी तकलीफ़ होती है
हसीन नग़्मा-सराओ! बहार के दिन हैं
हर परी-वश को ख़ुदा तस्लीम कर लेता हूँ मैं
हर दुश्मन-ए-वफ़ा मुझे महबूब हो गया
हँस के बोला करो बुलाया करो
हँस हँस के जाम जाम को छलका के पी गया
हल्का हल्का सुरूर है साक़ी
गुनाह-ए-जुरअत-ए-तदबीर कर रहा हूँ मैं
गोरियों कालियों ने मार दिया
गो तिरी ज़ुल्फ़ों का ज़िंदानी हूँ मैं
गिरते हैं लोग गर्मी-ए-बाज़ार देख कर
ग़म-ए-मोहब्बत सता रहा है ग़म-ए-ज़माना मसल रहा है
फ़क़ीर किस दर्जा शादमाँ थे हुज़ूर को कुछ तो याद होगा
एक ना-मक़बूल क़ुर्बानी हूँ मैं
दुआएँ दे के जो दुश्नाम लेते रहते हैं
दिन गुज़र जाएँगे सरकार कोई बात नहीं
दिल को दिल से काम रहेगा
दिल है बड़ी ख़ुशी से इसे पाएमाल कर
दिल डूब न जाएँ प्यासों के तकलीफ़ ज़रा फ़रमा देना
देख कर दिल-कशी ज़माने की
दरोग़ के इम्तिहाँ-कदे में सदा यही कारोबार होगा
छेड़ो तो उस हसीन को छेड़ो जो यार हो
भूली-बिसरी बातों से क्या तश्कील-ए-रूदाद करें
भूले से कभी ले जो कोई नाम हमारा
बे-सबब क्यूँ तबाह होता है
बे-जुम्बिश-ए-अब्रू तो नहीं काम चलेगा
बस इस क़दर है ख़ुलासा मिरी कहानी का
बहुत से लोगों को ग़म ने जिला के मार दिया
अरे मय-गुसारो सवेरे सवेरे