अब्दुल हमीद अदम कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अब्दुल हमीद अदम (page 4)
नाम | अब्दुल हमीद अदम |
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अंग्रेज़ी नाम | Abdul Hamid Adam |
जन्म की तारीख | 1910 |
मौत की तिथि | 1981 |
मैं और उस ग़ुंचा-दहन की आरज़ू
मय-कदा है यहाँ सकूँ से बैठ
लोग कहते हैं कि तुम से ही मोहब्बत है मुझे
लज़्ज़त-ए-ग़म तो बख़्श दी उस ने
कुछ कुछ मिरी आँखों का तसर्रुफ़ भी है शामिल
किसी जानिब से कोई मह-जबीं आने ही वाला है
किसी हसीं से लिपटना अशद ज़रूरी है
ख़ुदा ने गढ़ तो दिया आलम-ए-वजूद मगर
कौन अंगड़ाई ले रहा है 'अदम'
कश्ती चला रहा है मगर किस अदा के साथ
कहते हैं उम्र-ए-रफ़्ता कभी लौटती नहीं
कभी तो दैर-ओ-हरम से तू आएगा वापस
जुनूँ अब मंज़िलें तय कर रहा है
जो अक्सर बार-वर होने से पहले टूट जाते थे
जिस से छुपना चाहता हूँ मैं 'अदम'
जिन को दौलत हक़ीर लगती है
जिन से इंसाँ को पहुँचती है हमेशा तकलीफ़
जी चाहता है आज 'अदम' उन को छेड़िए
झाड़ कर गर्द-ए-ग़म-ए-हस्ती को उड़ जाऊँगा मैं
जेब ख़ाली है 'अदम' मय क़र्ज़ पर मिलती नहीं
जब तिरे नैन मुस्कुराते हैं
इजाज़त हो तो मैं तस्दीक़ कर लूँ तेरी ज़ुल्फ़ों से
हुस्न इक दिलरुबा हुकूमत है
हम को शाहों की अदालत से तवक़्क़ो' तो नहीं
हम और लोग हैं हम से बहुत ग़ुरूर न कर
हुजूम-ए-हश्र में खोलूँगा अद्ल का दफ़्तर
हाथ से खो न बैठना उस को
हर दिल-फ़रेब चीज़ नज़र का ग़ुबार है
हद से बढ़ कर हसीन लगते हो
गुलों को खिल के मुरझाना पड़ा है