Coupletss of Ahmad Faraz (page 2)

Coupletss of Ahmad Faraz (page 2)
नामअहमद फ़राज़
अंग्रेज़ी नामAhmad Faraz
जन्म की तारीख1931
मौत की तिथि2008

तेरे क़ामत से भी लिपटी है अमर-बेल कोई

तेरे होते हुए महफ़िल में जलाते हैं चराग़

तेरे होते हुए आ जाती थी सारी दुनिया

तेरे बग़ैर भी तो ग़नीमत है ज़िंदगी

तअ'ना-ए-नश्शा न दो सब को कि कुछ सोख़्ता-जाँ

तमाम उम्र कहाँ कोई साथ देता है

सुना है उस को भी है शेर ओ शाइरी से शग़फ़

सुना है उस के बदन की तराश ऐसी है

सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं

सुना है बोले तो बातों से फूल झड़ते हैं

सो देख कर तिरे रुख़्सार ओ लब यक़ीं आया

सितम तो ये है कि ज़ालिम सुख़न-शनास नहीं

सिलवटें हैं मिरे चेहरे पे तो हैरत क्यूँ है

सिलसिले तोड़ गया वो सभी जाते जाते

शिद्दत-ए-तिश्नगी में भी ग़ैरत-ए-मय-कशी रही

शहर-वालों की मोहब्बत का मैं क़ाएल हूँ मगर

साक़िया एक नज़र जाम से पहले पहले

साक़ी ये ख़मोशी भी तो कुछ ग़ौर-तलब है

सामने उम्र पड़ी है शब-ए-तन्हाई की

साए हैं अगर हम तो हो क्यूँ हम से गुरेज़ाँ

सब ख़्वाहिशें पूरी हों 'फ़राज़' ऐसा नहीं है

रुके तो गर्दिशें उस का तवाफ़ करती हैं

रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ

रात क्या सोए कि बाक़ी उम्र की नींद उड़ गई

रात भर हँसते हुए तारों ने

क़ुर्बतें लाख ख़ूब-सूरत हों

क़ासिदा हम फ़क़ीर लोगों का

पहले से मरासिम न सही फिर भी कभी तो

पहले पहले हवस इक-आध दुकाँ खोलती है

नासेहा तुझ को ख़बर क्या कि मोहब्बत क्या है

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