लोग यूँ कहते हैं अपने क़िस्से
जैसे वो शाह-जहाँ थे पहले
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Rahat Indori
Wasi Shah
Javed Akhtar
Habib Jalib
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Gulzar
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सब देख कर गुज़र गए इक पल में और हम
जहाँ ज़िदें किया करता था बचपना मेरा
हम ने जो क़सीदों को मुनासिब नहीं समझा
पलट चलें कि ग़लत आ गए हमीं शायद
हम-अस्रों में ये छेड़ चली आई है 'अज़हर'
अपनी तस्वीर बनाओगे तो होगा एहसास
अजब जुनून है ये इंतिक़ाम का जज़्बा
वो ताज़ा-दम हैं नए शो'बदे दिखाते हुए
आज शहरों में हैं जितने ख़तरे
इस बार उन से मिल के जुदा हम जो हो गए
जवानों में तसादुम कैसे रुकता
वो मेरा यार था मुझ को न ये ख़याल आया